तुलसी का श्रीगणेश को श्राप
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार तुलसी देवी गंगा तट से गुजर रही
थीं, उस समय वहां श्रीगणेश तप कर रहे थे। श्रीगणेश को देखकर तुलसी का मन
उनकी ओर आकर्षित हो गया। तब तुलसी ने श्रीगणेश से कहा कि आप मेरे स्वामी हो
जाइए, लेकिन श्रीगणेश ने तुलसी से विवाह करने से इनकार कर दिया। क्रोधवश
तुलसी ने श्रीगणेश को विवाह करने का श्राप दे दिया और श्रीगणेश ने तुलसी को
वृक्ष बनने का।
ब्राह्मण दंपती का राजा दशरथ को श्राप
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, एक बार जब राजा दशरथ शिकार करने वन में गए
तो गलती से उन्होंने एक ब्राह्मण पुत्र श्रवण कुमार का वध कर दिया। श्रवण
कुमार के माता-पिता अंधे थे। जब उन्हें अपने पुत्र की मृत्यु का समाचार
मिला तो उन्होंने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस प्रकार हम पुत्र वियोग
में अपने प्राणों का त्याग कर रहे हैं, उसी प्रकार तुम्हारी मृत्यु भी
पुत्र वियोग के कारण ही होगी।
श्रीकृष्ण का अश्वत्थामा को श्राप
महाभारत युद्ध के अंत समय में जब अश्वत्थामा ने धोखे से पाण्डव
पुत्रों का वध कर दिया, तब पाण्डव भगवान श्रीकृष्ण के साथ अश्वत्थामा का
पीछा करते हुए महर्षि वेदव्यास के आश्रम तक पहुंच गए। तब अश्वत्थामा ने
पाण्डवों पर ब्रह्मास्त्र का वार किया। ये देख अर्जुन ने भी अपना
ब्रह्मास्त्र छोड़ा।
महर्षि व्यास ने दोनों अस्त्रों को टकराने से रोक लिया और अश्वत्थामा और अर्जुन से अपने-अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा। तब अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा ये विद्या नहीं जानता था। इसलिए उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी।
यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और किसी भी जगह, किसी पुरुष के साथ तुम्हारी बातचीत नहीं हो सकेगी। तुम्हारे शरीर से पीब और लहू की गंध निकलेगी। इसलिए तुम मनुष्यों के बीच नहीं रह सकोगे। दुर्गम वन में ही पड़े रहोगे।
महर्षि व्यास ने दोनों अस्त्रों को टकराने से रोक लिया और अश्वत्थामा और अर्जुन से अपने-अपने ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा। तब अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा ये विद्या नहीं जानता था। इसलिए उसने अपने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी।
यह देख भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे और किसी भी जगह, किसी पुरुष के साथ तुम्हारी बातचीत नहीं हो सकेगी। तुम्हारे शरीर से पीब और लहू की गंध निकलेगी। इसलिए तुम मनुष्यों के बीच नहीं रह सकोगे। दुर्गम वन में ही पड़े रहोगे।
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