Saturday 9 January 2016

साल 2016 की पहली और अंतिम शनिचरी अमावस्या



साल 2016 की पहली और अंतिम शनिचरी अमावस्या 9 जनवरी को है। हालांकि, अमावस्या को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि अमावस्या शनिवार को न होकर रविवार को मानी जाएगी। अमावस्या को लेकर क्या कहते हैं ज्योतिषी
जानिए, क्या कहते हैं ज्योतिषी-
1. उज्जैन ज्योतिषी पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार, 9 जनवरी को सूर्योदय सुबह 7.12 बजे होगा। अमावस्या 8.01 बजे लगेगी, इसलिए यह शनिश्चरी नहीं है।
2. रतलाम के ज्योतिषी रवि जैन, इंदौर के ज्योतिषी रामचंद्र शर्मा वैदिक के अनुसार, सूर्योदय से 3 घटी यानी 72 मिनिट बाद लगने वाली तिथि मान्य होने से ये शनिचरी अमावस्या कहलाएगी।
3. ज्योतिषी अमर डिब्बेवाला के अनुसार, ये अमावस्या पितृ कर्म के लिए महत्वपूर्ण है। मुंबई के काल निर्णय, पंजाब के दिवाकर एवं नीमच के निर्णय सागर जैसे पंचांगों में 9 जनवरी को अमावस्या बताई है।
4. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. श्यामनारायण व्यास के अनुसार, साल 2016 की पहली और आखिरी शनिश्चरी अमावस्या 9 जनवरी को है। इसके बाद पूरे वर्ष शनिचरी अमावस्या नहीं आएगी। अगली शनिचरी वर्ष 2017 में 24 जून को है।
ध्रुव योग में खरीदी शुभ, 5 राशि को राहत
अमावस्या पर मूल नक्षत्र, ध्रुव योग स्थिरता के कारक है। स्थाई संपत्ति खरीदी शुभ रहेगी। मेष, सिंह पर ढय्या व धनु, तुला और वृश्चिक पर शनि की साढ़ेसाती है। पांचों राशि वालों को इस दिन पूजा से शनि पीड़ा से वर्षभर राहत मिलेगी।
पीपल की पूजा करें
शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करें। भागवत के अनुसार पीपल, भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है। शनि दोषों से मुक्ति के लिए पीपल की पूजा ऐसे करें
नहाने के बाद साफ व सफेद कपड़े पहनें। पीपल की जड़ में केसर चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें। तिल के तेल का दीपक जलाएं। यहां लिखे मंत्र का जाप करें।

मंत्र: आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नम:।

मंत्र जाप के साथ पीपल की परिक्रमा करें। धूप, दीपक जलाकर आरती करें। पीपल को चढ़ाया हुआ थोड़ा-सा जल घर में लाकर भी छिड़कें। ऐसा करने से घर का वातावरण पवित्र होता है।
करें काले चने का ये उपाय
शनिवार के एक दिन पहले यानी शुक्रवार को सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। अगले दिन नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चना को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ठ रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना मछलियों की खिला दें। इस उपाय से शनिदेव के प्रकोप में कमी होती है।
करें शनि यंत्र की पूजा व स्थापना
शनिवार को श्रद्धापूर्वक शनि यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन इस यंत्र के सामने सरसो के तेल का दीपक जलाएं। नीला या काला फूल चढ़ाएं, ऐसा करने से लाभ होगा। साथ ही, इस यंत्र के सामने बैठकर प्रतिदिन शनि स्त्रोत या ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप भी करें।
लाभ
कर्ज, मुकदमा, हानि, पैर आदि की हड्डी तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों के लिए शनि यंत्र की पूजा बहुत फायदेमंद होती है। नौकरी पेशा लोगों को उन्नति भी शनि द्वारा ही मिलती है, अत: यह यंत्र बहुत उपयोगी है।
करें इन मंत्रों का जाप
शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।
वैदिक मंत्र
ऊं शं नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शं योरभिस्त्रवन्तु न:।
लघु मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं श्रीशनैश्चराय नम:।
इन 10 नामों से करें शनिदेव की पूजा
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

अर्थात: 1. कोणस्थ, 2. पिंगल, 3. बभ्रु, 4. कृष्ण, 5. रौद्रान्तक, 6. यम, 7. सौरि, 8. शनैश्चर, 9. मंद व 10. पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं।

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