ज्योतिष के अंतर्गत कई चमत्कारी उपाय हैं, जिनके माध्यम से आप सपने
में भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा ही एक उपाय यह भी है जिसमें
हनुमानजी सपने में आकर साधक को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। यह
अनुष्ठान 81 दिन का है। यह उपाय गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित हनुमान
अंक में बताया गया है। इस उपाय को हनुमान अष्टमी (इस बार 2 जनवरी, शनिवार)
या किसी मंगलवार से शुरू करें, तो विशेष फल प्राप्त होता है। ये उपाय इस
प्रकार करें-
सावधानी
इस उपाय को करते समय ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। साथ ही
क्षौर कर्म जैसे- नाखून काटना, बाल या दाड़ी कटवाना की भी मनाही है। शराब व
मांस का सेवन भी इस उपाय के दौरान नहीं कर सकते।
उपाय
हनुमान अष्टमी या महीने के किसी भी मंगलवार के दिन सुबह उठकर स्नान
आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें। अब एक लोटा पानी लेकर हनुमानजी के मंदिर
में जाएं और उस जल से हनुमानजी की मूर्ति को स्नान कराएं। पहले दिन एक दाना
साबूत उड़द का हनुमान के सिर पर रखकर 11 परिक्रमा करें और मन ही मन अपनी
मनोकामना हनुमानजी के सामने कहें और वह उड़द का दाना लेकर घर लौट आएं तथा
उसे अलग रख दें। दूसरे दिन से एक-एक उड़द का दाना रोज बढ़ाते रहें व यही
प्रक्रिया करते रहें।
41 दिन 41 दाने रखकर बाद में 42 वें दिन से एक-एक दाना कम करते रहें।
जैसे 42 दिन 40, 43 वें दिन 39 और 81 वें दिन 1 दाना। 81 दिन का यह
अनुष्ठान पूर्ण होने पर उसी दिन रात में श्रीहनुमानजी स्वप्न में दर्शन
देकर साधक को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। ऐसा गीताप्रेस गोरखपुर
द्वारा प्रकाशित हनुमान अंक पुस्तक में लिखा है। इस पूरी विधि के दौरान
जितने भी उड़द के दाने आपने हनुमानजी को चढ़ाएं हो उन्हें नदी में प्रवाहित
कर दें।
हनुमानजी को चढ़ाएं पान
हनुमान अष्टमी को हनुमानजी को एक विशेष पान चढ़ाएं। इस पान में केवल
कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बुरा और सुमन कतरी डलवाएं। पान बनवाते समय
इस बात का ध्यान रखें कि उसमें चूना एवं सुपारी नही हो। इस पान में तंबाकू
नहीं होनी चाहिए। हनुमानजी का विधि-विधान से पूजन करने के बाद यह पान
हनुमानजी को यह बोलकर अर्पण करें- हे हनुमानजी। आपको मैं यह मीठा रस भरा
पान अर्पण कर रहा हूं। आप भी मेरा जीवन मीठास से भर दीजिए। हनुमानजी की
कृपा से कुछ ही दिनों में आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी।
इस उपाय से होगी मनोकामना पूरी
हनुमान अष्टमी को तेल, बेसन और उड़द के आटे से बनाई हुई हनुमानजी की
मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाएं तथा विधिवत पूजन
कर पुआ, मिठाई आदि का भोग लगाएं। इसके बाद 27 पान के पत्ते तथा सुपारी आदि
मुख शुद्धि की चीजें लेकर इनका बीड़ा बनाकर हनुमानजी को अर्पित करें। इसके
बाद इस मंत्र का जाप करें-
मंत्र- नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
फिर आरती, स्तुति करके अपने इच्छा बताएं और प्रार्थना करके इस मूर्ति को विसर्जित कर दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देकर सम्मान विदा करें।
यह उपाय करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी।
मंत्र- नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।
फिर आरती, स्तुति करके अपने इच्छा बताएं और प्रार्थना करके इस मूर्ति को विसर्जित कर दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देकर सम्मान विदा करें।
यह उपाय करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी।
ऐसे करें हनुमान यंत्र की पूजा
हनुमान अष्टमी को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शांत
एवं एकांत कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें। स्वयं लाल
या पीली धोती पहनें। अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की
मूर्ति स्थापित करें।
चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें। सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं-
ध्यान- दोनों हाथ जोड़कर हनुमानजी का ध्यान करें-
ऊं रामभक्ताय नम:। ऊं महातेजसे नम:।
ऊं कपिराजाय नम:। ऊं महाबलाय नम:।
ऊं दोणाद्रिहराय नम:। ऊं सीताशोक हराय नम:।
ऊं दक्षिणाशाभास्कराय नम:। ऊं सर्व विघ्न हराय नम:।
आह्वान- हाथ जोड़कर हनुमानजी का आह्वान करें-
हेमकूटगिरिप्रान्त जनानां गिरिसामुगाम्।
पम्पावाहथाम्यस्यां नद्यां ह्रद्यां प्रत्यनत:।।
विनियोग- दाएं हाथ में आचमनी में या चम्मच में जल भरकर यह विनियोग करें-
अस्य श्रीहनुमन्महामन्त्रराजस्य श्रीरामचंद्र ऋषि: जगतीच्छन्द:, श्रीहनुमान, देवता, ह् सौं बीजं, हस्फ्रें शक्ति: श्रीहनुमत् प्रसादसिद्धये जपे विनियोग:।
अब जल छोड़ दें। इस प्रकार श्रीहनुमान यंत्र की पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती हैं।
चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें। सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं-
ध्यान- दोनों हाथ जोड़कर हनुमानजी का ध्यान करें-
ऊं रामभक्ताय नम:। ऊं महातेजसे नम:।
ऊं कपिराजाय नम:। ऊं महाबलाय नम:।
ऊं दोणाद्रिहराय नम:। ऊं सीताशोक हराय नम:।
ऊं दक्षिणाशाभास्कराय नम:। ऊं सर्व विघ्न हराय नम:।
आह्वान- हाथ जोड़कर हनुमानजी का आह्वान करें-
हेमकूटगिरिप्रान्त जनानां गिरिसामुगाम्।
पम्पावाहथाम्यस्यां नद्यां ह्रद्यां प्रत्यनत:।।
विनियोग- दाएं हाथ में आचमनी में या चम्मच में जल भरकर यह विनियोग करें-
अस्य श्रीहनुमन्महामन्त्रराजस्य श्रीरामचंद्र ऋषि: जगतीच्छन्द:, श्रीहनुमान, देवता, ह् सौं बीजं, हस्फ्रें शक्ति: श्रीहनुमत् प्रसादसिद्धये जपे विनियोग:।
अब जल छोड़ दें। इस प्रकार श्रीहनुमान यंत्र की पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती हैं।
करें इस हनुमान मंत्र का जाप
यदि आप पर कोई संकट है, तो हनुमान अष्टमी को नीचे लिखे हनुमान मंत्र का विधि-विधान से जाप करें।
मंत्र
ऊं नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
ऊं नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
जाप विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ वस्त्र पहनें। इसके बाद
अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें।
पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जाप करेंगे तो विशेष फल मिलता
है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।