मंदिर में चप्पल पहनकर क्यों नहीं जाते हैं?
हमारे
यहां हर धर्म के देवस्थलों पर नंगे पांव प्रवेश करने का रिवाज है। चाहे
मंदिर हो या मस्जिद गुरुद्वारा हो या जैनालय सभी धर्मों के देवस्थलों के पर
सभी श्रद्धालु जूते-चप्पल बाहर उतारकर ही प्रवेश करते हैं। दरअसल,
देवस्थानों का निर्माण कुछ इस प्रकार से किया जाता है कि उस स्थान पर काफी
सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित होती रहती है।
नंगे
पैर जाने से वह ऊर्जा पैरों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाती
है। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक रहती है। साथ ही, नंगे
पैर चलने से एक्यूप्रेशर के फायदे भी मिलते हैं। दरअसल, आजकल अधिकांश लोग
घर में भी हर समय चप्पल पहनें रहते हैं। इसलिए हम देवस्थानों में जाने से
पूर्व कुछ देर ही सही पर जूते-चप्पल रूपी भौतिक सुविधा का त्याग करते हैं।
इस त्याग को तपस्या के रूप में भी देखा जाता है। जूते-चप्पल में लगी गंदगी
से मंदिर की पवित्रता भंग ना हो, इस वजह से भी देवस्थानों में नंगे पैर
जाते हैं।
आपको पता है, नहाने से पहले खाना क्यों नहीं खाना चाहिए?
आपने
अक्सर अपने घर के बुजुर्गों को यह कहते हुए सुना होगा कि नहाने से पहले
खाना नहीं खाना चाहिए। हालांकि वर्तमान समय में इन बातों पर गौर नहीं किया
जाता, लेकिन इस तथ्य के पीछे न सिर्फ धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार स्नान से शरीर के हर भाग को नया जीवन मिलता है।
शरीर पर एकत्र हर तरह का मैल नहाने से साफ हो जाता है और एक नई ताजगी व
स्फूर्ति आ जाती है। जिससे स्वाभाविक रूप से भूख लगती है। उस समय किए गए
भोजन का रस हमारे शरीर के लिए पुष्टिवर्धक होता है।जबकि नहाने से पहले कुछ
भी खाने से हमारी जठराग्नि उसे पचाने में लग जाती है।
नहाने पर शरीर ठंडा हो जाता है जिससे पेट की पाचन शक्ति धीमी हो जाती है। इसके कारण आंते कमजोर हो जाती हैं व कब्ज की शिकायत रहती है। इसके अलावा अन्य कई तरह के रोग हो सकते हैं। इसलिए नहाने से पहले भोजन करना वर्जित माना गया है।आवश्यक हो तो गन्ने का रस, पानी, दूध, फल व दवा नहाने से पहले ली जा सकती है, क्योंकि इनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
सूर्यास्त के समय नहीं करनी चाहिए पढ़ाई क्योंकि...
हिंदू
धर्म में दैनिक दिनचर्या से जुड़ी अनेक परंपराएं हैं। उन्हीं में से एक है
सूर्यास्त के समय पढ़ाई न करने की। दरअसल, ये पंरपरा पूरी वैज्ञानिक सोच
के साथ बनाई गई है, क्योंकि सूर्यास्त के समय सूर्य का प्रकाश कुछ धुंधला
सा हो जाता है। इसलिए इस समय किसी भी तरह की लाइट में पढऩे पर आंखों पर
अधिक जोर पड़ता है और आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
कहते
हैं शाम के समय पढ़ाई नहीं करना चाहिए। इस समय तो पूरे भक्तिभाव से भगवान
की पूजा-अर्चना व संध्या करनी चाहिए। इस संबंध में विद्वानों की मान्यता है
कि सूर्यास्त के समय पढ़ाई करने से एकाग्रता में कमी आती है। साथ ही यश,
लक्ष्मी, विद्या आदि सभी का नाश हो जाता है।
सूर्योदय से पहले क्यों उठना चाहिए?
हिंदू
धर्म में सूर्योदय से पहले उठना सबसे अच्छा माना जाता है।रात का अंतिम
प्रहर जिसे ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने उसका विशेष
महत्व बताया है। दरअसल, उनके अनुसार यह समय जागने के लिए सर्वोत्तम है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य
मिलता है। ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व बताने के पीछे हमारे विद्वानों की
वैज्ञानिक सोच निहित थी।
वैज्ञानिक
शोधों से ज्ञात हुआ है कि ब्रह्म मुहूर्त में वायु मंडल प्रदूषित नहीं
होता है। इसी समय वायु मंडल में ऑक्सीजन (प्राण वायु) की मात्रा सबसे
ज्यादा (41 प्रतिशत) होती है, जो फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती
है। शुद्ध हवा मिलने से मन, दिमाग भी स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद के अनुसार
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता
है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य (अमृत के समान) कहा
गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है,
क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर व दिमाग में
भी स्फूर्ति व ताजगी रहती है।
किचन में चप्पल नहीं पहनना चाहिए क्योंकि...
प्राचीन
काल से ही ऋषि-मुनियों और विद्वानों द्वारा किचन में चरण पादुकाएं यानी
जूते-चप्पल नहीं पहनने की बात कही गई है। दरअसल, इसकी वजह यह है कि कीचन
में जूते-चप्पल के साथ गंदगी भी आती है जो कि परिवार के सदस्यों के लिए
स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होती है।
इस वजह से घर में जूते-चप्पल पहनना उचित नहीं है।साथ ही, इसके पीछे धार्मिक कारण ये है कि कीचन में जो खाना बनता है उसका नैवैद्य भगवान को लगता है। कहते हैं किचन में अन्नपूर्णा देवी भी निवास करती हैं। ऐसे में यदि हम जूते-चप्पल पहनकर किचन में काम करते हैं तो भगवान का भी अपमान होता है।
इस वजह से घर में जूते-चप्पल पहनना उचित नहीं है।साथ ही, इसके पीछे धार्मिक कारण ये है कि कीचन में जो खाना बनता है उसका नैवैद्य भगवान को लगता है। कहते हैं किचन में अन्नपूर्णा देवी भी निवास करती हैं। ऐसे में यदि हम जूते-चप्पल पहनकर किचन में काम करते हैं तो भगवान का भी अपमान होता है।