Wednesday 6 January 2016

भाण्डीय वन में हुआ था राधा-कृष्ण का विवाह

श्रीगर्ग-संहिता के गो-लोक खण्ड के एक प्रसंग में भगवान कृष्ण और राधा के विवाह का वर्णन है। किस तरह श्रीकृष्ण और राधा का विवाह हुआ था और किसने उनका विवाह करवाया था, पूरा प्रसंग दिया गया है।

भाण्डीय वन में हुआ था राधा-कृष्ण का विवाह

श्रीगर्ग-संहिता के अनुसार, राधा-कृष्ण का विवाह भाण्डीय वन में हुआ था। आज भाण्डीय वन उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में मौजूद है। मधुरा से यहां की दूरी लगभग 20 कि.मी. है। राधा-कृष्ण से जुड़ी होने का कारण इस जगह को बहुत ही पवित्र माना जाता है।
 

भगवान ब्रह्मा ने करवाया था राधा-कृष्ण का विवाह

ग्रंथ के अनुसार, राधा-कृष्ण का विवाह और किसी ने नहीं बल्कि खुद भगवान ब्रह्मा ने करवाया था। साथ ही राधा-कृष्ण के विवाह में सभी देवी-देवताओं ने भाग लेकर उन्हें आशीर्वाद भी दिया था।
 

आज भी मौजूद है वो पेड़

श्रीगर्ग-संहिता के अनुसार, भाण्डीर वन की जिस जगह पर राधा-कृष्ण का विवाह हुआ था, आज भी वह पेड़ मौजूद है। उस पेड़ के नीचे ही राधा-कृष्ण के साथ भगवान ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित है। साथ ही पेड़ के नीचे लगे एक बोर्ड पर विवाह का पूरा वर्णन भी दिया गया है।
 

ये हैं गर्ग-संहिता में दिया गया विवाह का पूरा प्रसंग

श्रीगर्ग-संहिता के अनुसार, एक दिन नंदबाबा बालक कृष्ण को गोद में लिए घूम रहें थे। घूमते हुए वे दोनों भाण्डीय वन पहुंच गए। भाण्डीय वन पहुंचते ही भगवान कृष्ण ने अपनी माया से आधी-तूफान का वातावरण बना दिया। भगवान कृष्ण की इच्छा से वन में बहुत तेज तूफान आ गया। यह देखकर नंदबाबा बहुत डर गए। वे कृष्ण को गोद में लेकर एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए और भगवान का स्मरण करने लगे। उसी समय वहां पर देवी राधा आ गईं।
 
नंदबाबा कृष्ण और राधा के देव अवतार होने की बात जानते थे। उन्होंने देवी राधा को देखते ही हाथ जोड़ कर उनकी स्तुति करने लगे। कुछ समय बाद नंदबाबा बालरूपी भगवान कृष्ण को देवी राधा के हाथों में सौप कर वहां से चले गए। नंदजी के जाते ही श्रीकृष्ण ने अपना दिव्यरूप धारण कर लिया।
 रीकृष्ण के दिव्यरूप धारण कर लेने के बाद भगवान कृष्ण और देवी राधा भाण्डीय वन में घूमने लगे। तभी श्रीकृष्ण की इच्छा पर भगवान ब्रह्मा वहां आ गए। इसके बाद भगवान ब्रह्मा ने अग्नि की स्थापना करके देवी राधा और भगवान कृष्ण का विवाह करवाया था। श्रीगर्ग-संहिता के अनुसार, राधा-कृष्ण के विवाह में सभी देवी-देवताओं ने भाग लेकर उन्हें आशीर्वाद दिया था। विवाह के बाद फिर से भगवान कृष्ण ने अपना बालरूप धारण कर और देवी राधा उन्हें घर छोड़कर वहां से चली गईं।

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